मैं रवि तिवारी ...
बात करना चाहता हूँ लगातार
बात किये बग़ैर मनुष्य रह कहाँ पाता है ?
बात से ही बात निकलती है
बात जो करता नहीं वह गूँगा हो जाता है
गूँगा होना कई अपराधों को और कई समस्यायों को जन्म देता है
वैसे भी समस्यायें बहुत है
तो क्यों न हम बातें करें और ख़तम करें समस्यायों को
गूँगे को दुनिया नज़रअंदाज़ कर दिया करती है
बात करने से ही बड़ी-बड़ी समस्यायों का हल मिलता है
ऐतिहासिक सत्य है यह !
बात से ही कविता बनती है
कविता दुनिया को रचती है
तो साफ़ ज़ाहिर है कि बात से दुनिया को समझने
और दुनिया को समझाने का सुअवसर हमारे हाथ लगता है
कहा भी कहा गया है -
जहाँ ना पहुँचे कवि
वहाँ पहुँचे रवि
इसलिए मैं आप सब तक पहुँचना चाहता हूँ ....
Friday, October 10, 2008
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